समानान्तर प्रेम
समानान्तर प्रेम
उपन्यासिका
रवि रंजन गोस्वामी
1
राजेश जब आगरा कालेज पहुंचा सलीम गेट पर ही मिल गया ।
सलीम राजेश को देखते ही बोला , “तुम बस एक मिनट देर से आये । “
राजेश बोला , “मैं तो समय से ही आया हूँ। आज क्या खास है ।”
सलीम , “अभी अभी मधु अंदर गयी । “
राजेश , “कौन मधु ?”
सलीम, “वही लड़की जिसके पीछे सारे कालेज के लड़के दीवाने हो रहे हैं । “
राजेश , “तेरी दीवानगी का क्या हाल है ?
सलीम , “मैंने तो पहले ही हथियार डाल दिये यार। इतनी खूबसूरत और इंटीलिजेंट लड़की मुझे तो लिफ्ट देने से रही । “
राजेश , “खैर छोड़ो , चलो क्लास में चलते हैं ।”
दोनों क्लास में जाकर बैठ गये ।
इंटरवल में सलीम ने कहा , “चल उसे देख कर आते हैं । “
राजेश-“कहाँ ?”
“बायलोजी विभाग में, उसकी क्लास वहीं है ।” सलीम बोला ।
राजेश के मन में भी उत्सुकता जाग गयी थी सो बोला , “तुम कहते हो तो चलो ।”
दोनों मैथ्स विभाग से केमिस्ट्री विंग से होते हुए बायोलॉजी विभाग के सामने पहुंचे । उनकी किस्मत अच्छी थी । विभाग से उतरती सीडियों पर एक किनारे कुछ छात्राएं किताबें गोद में रखे बैठी थीं ।
सलीम ने धीरे से कहा , “ सीडियों पर देख । “
राजेश ने उस तरफ देखा तो देखता ही रह गया । उसे बताने की जरूरत नहीं थी सलीम ने किस लड़की का जिक्र किया था । सलीम ने धीरे से कहा ,”गुलाबी दुपट्टा । “
पर राजेश तो पहले ही गुलाबी दुपट्टे वाली के सौन्दर्य में खो चुका था । वह गोरी नहीं थी । शायद उसका रंग गेंहुआ कहा जा सकता था । उसमें कुछ एसी बात जरूर थी जिसकी व्याख्या तो राजेश नहीं कर सकता था लेकिन उसने उसमें एक जबर्दस्त कशिश महसूस की ।
उसके तीखे नाकनक्श , बॉब कट बाल , सफ़ेद सलवार सूट जिस पर गुलाबी रंग के फूल कढ़े थे और उसपर गुलाबी दुपट्टा उसे बाकी लड़कियों से कुछ अलग दिखा रहे थे ।
राजेश थोड़ी देर अपलक उसे देखता रहा । लड़कियों ने जब नज़र उठा कर उसे देखा तो झेंप कर उसने नज़र हटा लीं और सीधा आगे बढ़ गया । सलीम उसके बगल में चलता रहा ।
थोड़ा आगे जाकर वे उसी रास्ते से वापस लौटे तब तक वो और उसकी सहेलियाँ वहाँ से जा चुकीं थीं ।
राजेश और सलीम अपने मैथ्स विभाग की तरफ बढ़ गये । क्लास में पहुँचकर दोनों क्लास में अपनी जगह जाकर बैठ गये ।
राजेश उस दिन कालेज से हॉस्टल लौट कर अपने कमरे में लेटकर काफी देर मधु के बारे में ही सोचता रहा ।
शाम को सलीम आ गया । दोनों सड़क पर टहलने निकल गये ।
राजेश के दिमाग में अब भी मधु घूम रही थी ।
उसने सलीम से पूंछा , “ये मधु तो वाकई बहुत खूबसूरत है ।“
सलीम , “खूबसूरत ही नहीं ,ज़हीन भी है । “
“ज़हीन माने ?” राजेश ने पूंछा । सलीम शायरी का शौकीन था और बातचीत में कभी कभी उर्दू शब्दों का प्रयोग किया करता था ।
“यानि इंटेलिजेंट यार । “सलीम ने जवाब दिया।
राजेश –“इंटेलिजेंट है ये तुझे कैसे पता ?”खूबसूरत है तो जरूरी नहीं होशियार भी हो ।“
सलीम-“मैंने उसे प्रिंसपल से बात करते सुना है । क्या फर्राटेदार इंगलिश बोलती है !”
राजेश , “इंग्लैंड के गधे भी इंगलिश बोलते हैं । “
सलीम , “नहीं यार । सुना है कि जहां से वह आयी है वहाँ की टॉपर है । “
राजेश, “कहाँ से आयी है ?
सलीम –“कानपुर से । वहाँ बी एस सी पार्ट वन में अपने कालेज में टॉप किया था । उसके पिता एयर फोर्स ऑफिसर हैं । पिता का यहाँ ट्रांसफर हुआ तो यहाँ आ गयी । “
राजेश –“तूने बड़ी जानकारी इकट्ठी कर ली है ! कैसे?”
सलीम –“मेरी कज़िन आयशा उसकी क्लास में पढ़ती है । उसीसे ये सारी मालूमात हुई । “
राजेश , “बहुत अच्छे । तू बहुत आगे जाएगा
सलीम , “मैं चाहता हूँ तू आगे बढ़े । “सलीम ने राजेश की पीठ पर हाथ फेरते हुए कहा ।
दोनों टहलते हुए हॉस्टल से काफी दूर आ गए थे ।
राजेश बोला , “चल वापस चलते हैं । “
दोनों वापस हॉस्टल की ओर चल दिये ।
2
राजेश बैडमिंटन का अच्छा खिलाड़ी था और उसे जब भी पढ़ाई से समय मिलता वह पास के इन्डोर स्टेडियम में जाकर खेला करता था ।
सलीम ज्यादा अच्छा तो नहीं खेल पाता था लेकिन वह भी राजेश के साथ वहाँ जाकर व्यायायम करने लिए थोड़ा बहुत खेल लेता था ।
थोड़े दिन बाद विभिन्न खेलों में कालेज का प्रतिनिधित्व करने के लिये चयन प्रक्रिया प्रारम्भ हुई।
चयन के संबंध में नोटिस लगा दिया गया था । स्पोर्ट्स इंचार्ज वर्माजी के पास नाम लिखवाने को कहा गया था ।
सलीम थोड़ा हिचक रहा था किन्तु राजेश ने अपना और सलीम दोनों का बैडमिंटन के लिये नाम लिखवा दिया । अन्य खेलों की टीमों के लिये चयन के लिये भी छात्र ,छात्राओं ने अपने नाम दिये ।
ये बात सलीम को भी नहीं मालूम थी कि मधु भी बैडमिंटन की खिलाड़ी थी ।
चयन के समय एकत्र हुईं खिलाड़ी छात्राओं में मधु को देख कर राजेश के दिल की धड़कने बढ़ गयीं ।
संयोग से बैडमिंटन की लड़कों की टीम के लिये राजेश और सलीम एवं लड़कियों की टीम के लिये मधु और सीमा नाम की एक लड़की का चयन हुआ। चयनित खिलाड़ियों ने आपस में एक दूसरे को हाथ मिलाकर बधाई दी ।
राजेश ने धड़कते हुए दिल के साथ मधु की ओर हाथ बढ़ाया जिसे मधु ने बेझिझक थाम लिया ।
“कोंग्रेट्स । “
“कोङ्ग्रेट्स ।“
बधाई के आगे उस दिन और कोई बात नहीं हुई।
अगले दिन अचानक राजेश और मधु का आमना सामना कालेज की लाइब्रेरी के बाहर हो गया ।
नज़रें मिली तो राजेश ने कहा , “हैलो । “
मधु ने मुस्कराते हुए कहा , “हैलो । “
उसकी मुस्कान से राजेश का मन बढ़ा
“किताब लेने आयीं थी ?” उसने पूंछा ।
“हाँ , लेकिन मिली नहीं । “मधु ने जवाब दिया।
राजेश –“जरूरी किताब थी क्या ? मैं कुछ हेल्प करूँ ?”
मधु -“किताब कल लाइब्रेरी में आजाएगी । अभी मैं किसी सहेली से लेकर काम चला लूँगी ।”
राजेश -“बैडमिंटन की प्रेक्टिस कैसी चल रही है?”
मधु –“ठीक चल रही है । वैसे आप कहाँ प्रैक्टिस करते हैं ?
राजेश –“इन्डोर स्टेडियम में , और आप ?
मधु –“मैं अपने पापा के क्लब में खेलती हूँ लेकिन आउट डोर। ओके बाय क्लास का समय हो रहा है ।
राजेश –“बाय । “
बाय कहकर दोनों अपने अपने क्लास की ओर चले गये
राजेश जब क्लास में पहुंचा अस्थाना सर आ चुके थे और ब्लैक बोर्ड पर कुछ लिख रहे थे । राजेश चुपचाप अपनी जगह बैठ गया । बगल में बैठे सलीम नें फुसफुसा कर पूंछा , “कहाँ रह गए थे ?”
राजेश ने अपने मुंह पर एक उंगली रखकर सलीम को चुप रहने का इशारा किया ।
प्रो॰ अस्थाना को क्लास में लेक्चर के दौरान बातचीत बिलकुल बरदास्त नहीं थी ।
क्वांटम फिजिक्स पर अस्थाना साब का लेक्चर चलता रहा । राजेश और सलीम बोर होते रहे । उनका मन पढ़ाई में कम था । लेक्चर खत्मकर जैसे ही प्रो॰ अस्थाना क्लास के बाहर गये । सलीम ने राजेश की तरफ रुख किया ।
सलीम –“अब बता क्या हुआ ?”
राजेश –“आज लाइब्रेरी के बाहर मधु मिली थी ।
सलीम –“बात की ?”
राजेश –“हाँ । “
“शाबाश , क्या बात की ?” सलीम ने उत्साह पूर्वक पूंछा।
राजेश ने उसे मधु से जो बात हुई थी बता दी ।
सलीम ने कहा , “चल शुरुआत तो हुई । ?
अगला पीरियड गणित का था । प्रो ॰ पांडे आते हुए दिखे तो दोनों क्लास में जाकर बैठ गये ।