लिंचिंग
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अगस्त 2018 केरल बाढ़ की त्रासदी से जूझ रहा था। 16 अगस्त को ये स्थिति हो गयी कोचीन का एअर पोर्ट बंद कर देना पड़ा। वायुयान से कोचीन आने वाले यात्रियों ने अपनी यात्राएं स्थगित कर दीं। ट्रेन से यात्रा करना भी आशंकाओं से भरा था । अनेक गाडियाँ रद्द हो रही थीं और शेष देर से चल रहीं थीं । जिन्हें किसी अत्यावश्यक कार्य से कोचीन पहुंचाना था उन्होने कुछ दिनों बाद की ट्रेनों में रिज़र्वेशन करा लिया था। वे लोग उम्मीद कर रहे थे कि तब तक स्थिति में सुधार हो जाएगा ।
21 अगस्त को इंस्पेक्टर खालिद दिल्ली से केरल एक्सप्रेस गाड़ी के 2एसी डिब्बे A1 में चढ़ा। एक गंजी युवती उसके बगल के सेकंड एसी कोच A2 में चढ़ी। उसके पीछे दो दाढ़ी वाले युवक चढ़े। युवती लैला थी लेकिन पूछने पर वो अपना नाम रंभा बताती थी। दो दाढ़ी वाले युवक हलीम और सलीम थे । हलीम पाकिस्तानी था और सलीम कश्मीरी। खालिद एक केस के इन्वैस्टिगेशन के लिये केरल के कोचीन शहर जा रहा था । लैला किसी काम से कोचीन जा रही थी और दोनों दाढ़ी वाले युवक लैला का काम तमाम करने के उद्देश्य से उसके पीछे लगे थे । प्लानिंग अच्छी थी या संयोग लैला और दोनों युवकों को एक ही डिब्बे के एक ही केबिन में शायिकाएं मिली थीं।
ट्रेन दिल्ली से चलकर आगरा, ग्वालियर होते हुए झाँसी पहुंची। झाँसी स्टेशन पर गाड़ी लगभग बीस मिनट रुकती थी इसलिए खालिद यूं ही थोड़ी चहल कदमी करने प्लेटफॉर्म पर उतर गया । खालिद को माँ की याद आ गयी और वह यह सोचकर मुस्कराया कि अगर माँ साथ में होतीं तो वो उसे प्लेटफार्म पर नहीं उतरने देती । माँ के लिए अभी भी वो बच्चा था ।
उसने देखा पास में ही एक फलों का ठेला खड़ा था। उसने केले लेने का मन बनाया । वह तेजी से चलकर ठेले के पास पहुंचा। उसी समय बगल के डिब्बे से एक गंजी युवती उतरी और फलों के ठेले पर आयी । युवती गोरी थी और उसकी लम्बाई 5 फीट 6 इंच होगी । युवती देखने में ठीक थी किन्तु उसका गंजापन उसे कुछ अजीब सा बना रहा था खालिद ने आधा दर्जन केले खरीदे और अपने डिब्बे में आ गया । युवती ने आधा किलो अंगूर खरीदे और अपने डिब्बे में जाकर अपनी बर्थ पे बैठ गयी ।
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गाड़ी के नागपुर पहुँचने के थोड़ा पहले किसी ने ट्रेन की जंजीर खींच दी और ट्रेन अचानक धीमी होकर थोड़ा आगे जाकर एक झटके के साथ रुक गयी। एक पेंट्रीकार का कर्मचारी वहाँ से निकला तो खालिद ने उससे पूछा, “क्या हुआ?”
वह बोला बगल के A2 कोच में झगड़ा हो गया इसलिए किसी ने जंजीर खींच दी। खालिद की साइड लोअर बर्थ थी । उसने तुरंत बर्थ के नीचे रखीं हवाई चप्पलें पहनी और बगल के कोच की तरफ चल दिया । झगड़ा शायद केबिन के अंदर हुआ था। उस केबिन के आसपास यात्रियों की भीड़ थी । भीड़ में जगह बना कर खालिद ने अंदर झाँका। ट्रेन सुपरिन्टेंडेंट ,गार्ड और टी टी इ उस बर्थ पर बैठे थे जिस पर गंजी युवती बैठी थी। सामने की बर्थ पर दो युवक बैठे थे । ट्रेन सुपरिन्टेंडेंट ने लड़कों को चेतावनी देते हुए कहा, “ आप लोग शराफत से रहें। दुबारा कोई शिकायत मिली तो मैं आप लोगों को रेलवे पुलिस को सौंप दूँगा।”
युवकों ने सिर्फ सर हिलाकर जवाब दिया । युवती ने कहा, “कृपया मेरी बर्थ बदल दें।
सुपरिंटेन्डेंन्ट ने टी टी को इशारा किया । टी टी ने चार्ट पर नज़र डाली और युवती से बोला, “ आइये मैडम।”
युवती ने अपना ट्रॉली बैग उठाया और टी टी के पीछे चली गयी। टी टी ने उसे अगले ac कोच मेँ एक बुजुर्ग महिला के पास बर्थ दे दी।
महिला ने टी टी को धन्यवाद दिया और अपनी बर्थ पर बैठ गयी ।
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महिला ने मुस्कराकर युवती से पूछा, “ बेटी तुम्हारा क्या नाम है?”
युवती ने कह, “रंभा।”
“कहाँ से आ रही हो और कहाँ जाना है।”उस महिला ने पूछा।
रंभा ने जवाब दिया, आंटी दिल्ली से आयी हूँ ,कोचीन जा रही हूँ ।
“तब तो बहुत अच्छा है, “मैं भी कोचीन जा रही हूँ ।
फिर महिला ने कहा, “मुझे तो नींद आ रही है ।”
रंभा ने पूछा, “आपने खाना खा लिया। ”
महिला ने कहा, “हाँ, मैं घर से लेकर आयी थी।
रंभा ने महिला का नाम पूछा तो उसने बताया उसका नाम राशेल है।”
रंभा ने उससे पूछा, “ मुझे ज्यादा भूख नहीं है। मेरे पास कुछ केले हैं । वही खाकर सो जाऊँगी”
फिर उसने पूछा, “आंटी आप केला खाएँगी?”
राशेल ने कहा, “नहीं, तुम खाओ।”
राशेल का हिन्दी बोलने का तरीका और उच्चारण अलग थे।
रंभा ने पूछ लिया, “आपके यहाँ कौन सी भाषा बोली जाती है ?”
राशेल ने उत्तर दिया, “हम लोग मलयालम भाषा बोलते हैं।
रंभा को केरल के बारे संक्षेप मेँ बताया गया था ।
उसने राशेल से पूछा, “आप मलयाली हैं क्या ?”
राशेल ने हँसते हुए कहा, “ हंडरेड परसेंट।”
दोनों ने अपनी अपनी बर्थ पर चादर बिछाईं और लेट गयीं।”
लैला ने सोने के पहले अपने पर्स मेँ चिली स्प्रे और कुर्ते के नीचे कमर में बंधी खिलौने जैसी किन्तु असली पिस्टल छू कर देखी। फिर पर्स की डोरी को हाथ मेँ लपेट कर और उसे बगल मेँ रखकर सो गयी ।